; Damaged Think Tank: जीने की तमन्ना है

Friday, September 23, 2011

जीने की तमन्ना है

दिल कहता है जी लू कुछ पल , सपनो की दुनिया में , तनहा तनहा सा ॥
हसरतें है बहुत पूरी करने को , ख्वाब लगता अधूरा अधूरा सा ॥
जिस दिल में कभी शोले जला करते थे , आज धुआं सा उठता नजर आता है ..
वक़्त की रुसवाई तो देखो .. इक चिंगारी आकर फिर सुलगा जाती है ॥

कहा था किसी ने न सुन भूत की , न सोचो भविष्य की ..
कलियुग की दुनिया से अनजान ये गलती कर बैठा ..
हुआ जब एहसास तो मान ने को तैयार नही था ..

जूनून था कुछ कर दिखने का ... भटका जो पथ पर ..
टूटा जो इक तारा पूरा रास्ता भूल सा गया था ..
वक़्त था मुद कर वापस आने का .. पर समय की पाबन्दी थी ..
क्युकी सपने जी कर पुरे किये जाते है ..और ..
वो जीना भी क्या जीना जहाँ दो पल खुशगवार नही था ..


शोले से धूँआ ..धुएं पर पानी ... सब बहा देती है ॥
सपने थे कुछ इस माफिक की इक चिंगारी फिर सुलगा जाती है ..
है तमन्ना कुछ इस कदर जीने की ..की बस जी लू

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