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Saturday, May 2, 2015

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Friday, March 9, 2012

दिल की आवाज

हर इक कोना महका महका सा लगता है,
जब एक नजर में उठा कर देखूं ,
कोई अपना अपना सा लगता है
अब हर कोना महका महका सा लगता है||
बस का सफ़र हो या छत की मस्ती,
पेड़ों की ठंडक हो या साँसों की गर्मी ,
उसका हसना,
मौसम का सजना,
उसका संवरना,
अँधेरी रातों में जैसे तारों का चमकना,
वो लहराती हवा सरसराता आँचल,
जैसे पेड़ों के साए में डाली का मचलना,
हर कोना अपना अपना सा लगता है ||
............................
प्यार हो तुम एहसास हो तुम,
दिल में बसा एक खूबसूरत संसार हो तुम,
शीतल हवा और पंखुड़ी सी कोमल,
खिलते गुलाब की टहनी जो करे तन मन में हलचल,
भंवर सी आँखें और खिलता गुलाब हो तुम,
प्यार हो तुम||
...................................................
इज़हार प्यार का,
वादा साथ निभाने का करता हूँ,
साथ हो तुम्हारा तो उस संयोग को ,
हकीकत बनाने का करता हूँ,
खुशियाँ दूँ सारी प्यार की कभी कमी न हो,
वादा साथ निभाने का करता हूँ||
  ................................................

Sunday, January 29, 2012

ऐ नटखट सांवरी


 सरहद पार से  पिया का ख़त आया है,
पढ़कर जो मची हलचल तो फिर जवाब भिजवाया है...

ऐ नटखट सांवरी 
माना जो तुने मुझे  चाँद ,पर तू  ह मेरी चांदनी ,
अधूरा हूँ में तेरे बिन ,जेसे तेरे बिन ये कहानी,

लिखा जो ख़त तुने मुझे, पढ़ कर आँखें बहाल हो गयी,
समझूंगा ये जिन्दगी, अगर ये धरती मेरे रक्त से लाल हो गयी,
लेकर सात  फेरे संग तुम्हारे ,जो वादा किया रक्षा करने  की तुम्हारी ,
लेकर जन्म भारत भूमि पर ,की हो जाऊं इसके लिए बलिहारी ,बलिहारी ।।

कल शाम एक कटी पतंग ने आँखों में आंसू ला दिए ,
तुम्हारे हाथो से बने तिल के लड्डू   याद दिला दिए,
उस कटी पतंग को लूटने की जद्दोजहद, और वो नटखट शोर,
वो हंसी,वो काटा, और वो हंसी,
मेरी सांवरी की याद दिला गयी,

होली की वो शाम ,मुझे  आज भी याद है,
जब तुमने मचाया शोर ,पीकर भांग, बोले आज क्या इंतजाम है,
वो गाँव का चक्कर ,वो नहर में डुबकी,
वो खेतों में चिल्लाना,और मेरी गोद  में आकर जेसे तूफ़ान का थम सा जाना ,
वो प्यार भरी आँखें,वो लहराती जुल्फें ,
वो लड्डू जसी नाक, आज फिर शैतानी जगा गयी ,
इस शांत दिल में हलचल मचा गयी 
वो हंसी फिर आज,
मेरी सांवरी की याद दिला गयी।।

 

Wednesday, January 25, 2012

अंखियो के झरोखों से


अंखियो के झरोखों से 

बाट  जोहती मेरी आँखें , उस आँगन में ,
सूख गये मेरे  आंसू, अब पिया की यादों में,
उस आँगन की तस्वीर अब आँखों से जाती नहीं,
हर सूखे पत्ते की आहट, उन्हे घर लाती नहीं,
सुबह उठे शाम ढले ,है बस एक ही  इंतज़ार,
इन अंखियो के झरोखों से देखू 
रात के साए में टिमटिमाता मेरा प्यार, 

वो उनके  शायराने अलफ़ाज़ आज भी दिल में बसे है,
खिलाती उनकी हंसी ,आँगन के हर कोने में छिपी है,
वो गली में खेलते बच्चो को उनका डांटना ,
फिर सहमते बच्चो को देख खुद खेल में शामिल हो जाना ,
बसंत के इंतज़ार में झडते पत्तो की आवाज़ के बीच ,
वो आवाज़ कहीं खो जाती है 
फिर हरियाले पत्तो के बीच संग झूला झूलने की यादें आती है 
इन अंखियो के झरोखों से देखू 
बारिश की बूंदों के बीच मेरा प्यार ,मेरा प्यार
इन अंखियो के झरोखों से





Thursday, December 29, 2011

Safar Jindgi ka

humne unke bharose duniya chhod di.unhone hume chhod diya..
duniya ki itni bheed me akela kar tod diya..

Lakho prayatn kiye humne girkar sambhalne ke..
kuch unko bhula dene ke kuch khud bhool jane ke..

mushkilein nahi itni aasan..safar abhi adhoora hai..
kaise karu shuruat hona kya ye pura hai..?

diya hai usne mauka fir se galtiya dohrane ka..
bhugat chuke hai saja jarurat se jyada sajane ka..

yado ka safar nahi hai chhota..jindgiya chhoti pad jayengi..
aapka ehsaas aur humari bhaavnayein kya kabhi fir se mil payengi..

milne aur milane wale hum kaun hote hai..
ho agar khuda ki iccha to koi na gam me rote hai..

seekha hai jeevan ka saar hasna aur hasana hai..
raah me hai baadhayein saathi unhe bhul jana hai..

hasi hai jeene ka maadhyam use turant apnaao..
gum me yu dubokar jeevan na kabhi bitao..

phle bhi mile the aage bhi milenge.
ye to hai jeevan ka silsila wo bhi hsenge hum bhi hsenge..






Friday, December 2, 2011

उड़ता पंछी(2)

एक विचार जो  मन में आया
मन का पंछी फिर उड़ पाया
पंछी के पंख, हमारे अपने होंसला देते है
जो हो साथ उनका तो हर पल एक नया सपना देते है |

कौन कहता है सपने सच नहीं होते है
जो हो नजरिया कुछ पाने का तो मेहनत
के हर पायदान रंगीन होते है|


ऐ पंछी उड़.. पर न हो सपने कुछ इस कदर की
जूनून हो उड़ने का , और हम  भूलें अपना ही घर
हर उड़ान के बाद लौट कर घर आना होता है
न हो गर साथ अपनों का तो हर सच सपना भी बैगाना होता है

जीवन की दौड़ और सफलता के संघर्ष में लोग
अपनों को भूल  जाते है,
होता है एहसास तब सफलता के मुकाम पर खुद को तनहा पाते है,


सपने हो लाख चाहे ऊँची उड़ान के ,
पर आज भी पापा की अंगुली पकड़ कर चलना अच्छा लगता है,
जो हो साथ अपनों का अगर , तो ही
हर सपना सच्चा लगता है,


जीवन की सफलता मन की ख़ुशी में है
मन की ख़ुशी अपनों के साथ में है,
साथ है गर अपनों का तो
जहान है,जहान है जहान है ||