; Damaged Think Tank: उड़ता पंछी (1)

Thursday, November 17, 2011

उड़ता पंछी (1)



आसमान में उड़ता पंछी और कोयल की कूक बोली,
जो हुआ भंवर तो दिल में उषा की किरण खिली,||

अधूरे ज्ञान से सपने सच नही होते,
पेट तो हर परिन्दा भरता है,
जब हो ख्वाब कुछ करने के,तो होते वो पुरे
जब मजबूत इरादा होता है,|||

यह सोच कर एक कहानी याद आई,
जब मकड़ी चढ़ी बार बार घर पाने को,
और राजा को हिम्मत आई,|

दिल बोला क्यों तुमने इतना सोचा ,
कर्म करो,आगे बढ़ो लेकर नाम प्रभु का,
सफलता का रास्ता असफलता की सीढियों से जाता है,
यही नीरस सच जीवन का,|

जीवन के इस सच ने कितनो को डुबोया ,कितनो को ताराया,
अंतर था तो यहि जो समझा असफलता को अंतिम पायदान
जीवन की जंग में खुद को हराया,||

रखे जो बात ध्यान हम ,किसी कहानी का अंत बुरा नही होता,
परीक्षा हो दुश्वार कितनी,ये तो बस सुखद हे होता,,|||



3 comments:

  1. very nice lines .......specially third last paragraph

    ReplyDelete
  2. bahut aache miyan......

    ReplyDelete
  3. Very nice, I just loved the "Udta Panchi"...

    Shayad dil se nikali har baat, itni hi sundar hoti ho. Your retrospection has been mirrored in form of these beautiful lines.

    With slight tuning with the 2nd paragraph, this could be your masterpiece (this sounded diverse meaning with the sole theme).


    Happy Murmuring..
    vipul mishra

    ReplyDelete